अब तो साक्ष्य बनो
हर बात के प्रत्यक्ष दर्शी हैं हम सारे
फिर भी न जाने क्यूँ अप्रत्यक्ष भाव में जिए जा रहे हैं |
जरूरत तो हमारी भी जहाज कि है |
फिर भी समंदर का सफर नाव पे किये जा रहे हैं हम
जब से मिला "आम आदमी" का तमगा
बस उस शब्द के स्वभाव में जिंदगी जिए जा रहे हैं हम
अगर प्रत्यक्ष दर्शी हो तो गवाह बनों
समंदर पार होना है तो जहाज बनो
अगर आदमी हो तो आम नहीं खास बनो
कब तक साक्षी रहोगे,अब तो साक्ष्य बनो |
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