शब्द...

शब्द,
श्रमा के भाव-भरे
अंत तक,
प्यार दिला जाते हैं |

शब्द
कोमल स्नेह भरे,
दिलों में,
प्रीत बढा जाते हैं |

शब्द,
क्रोध-भरे,
कितने विषैले,
नाग से डस जाते हैं |

शब्द,
तीखे बाण से,
चुभ जाता है तीखापन,
स्नेह सरोवर,
सुखा जाते हैं |

शब्द,
कितने फौलादी,
साहस,आत्मविश्वास-भरे,
क्रान्ति कर जाते हैं |

शब्द,
कितने कोमल,
कितने मीठे,
कितने विषैले,
कितने तीखे,
कितने फौलादी.....

रेत की सहेली...जिंदगी

हाथों से फिसलती रेत से
पूछा मैंने इक बार-
'कौन है तेरी सहेली?'

मुस्कुराकर रेत ने कहा,
'वही जो  संग तुम्हारे गाती है
उलझा कर तुम्हे गीतों में
धीरे-से फिसल जाती है |'

'मुझमें उसमे फर्क है इतना,
मैं हकीकत,वो एक सपना |
मेरी फिसलन दिखती है,
महसूस भी हो जाती है |'

'...पर वो निगोडी देकर एहसास,
सफर के साथ
फिसलकर हाथों से
न जाने कहाँ खो जाती है,
मत पूछ उसका नाम
जिंदगी कहलाती है !!'