प्रिय गाँव मेरे तू चल

प्रिय गाँव मेरे तू चल , तेरे शहर में क्या रखा है
यहाँ बोतलों में शहद , वहां बोलियों में भरा है ……………!!!

उस दिन जब आई थी बरसात तेज हवाओ वाली
आँगन में ही छूट गए थे लोटा ,चिमटा, थाली !
दौड़ के तूने बड़े चाव से रखा था जो छत पर
सारी रात घुमड़ कर बरसा फिर भी तेरा बर्तन खाली
मेरे गाँव का सीडी दार कुआ ,देख मुहँ तक भरा है !!!
प्रिय गाँव मेरे तू चल , तेरे शहर में क्या रखा है
यहाँ बोतलों में शहद , वहां बोलियों में भरा है ………………………!!!

ना भंवरे , न पवन झकोरे , ना तितली ही आती ,
गमलों में तू फूल खिला, ये कैसा सावन लाती !
तेरे नरम मुलायम मिटटी हो ना सकी उपजाऊ
गाँव के मंदिर पीपल फुट भेद दिवार की छाती
जहाँ बंधती है मेरी गाय , वो ठूठ तक भी हरा है !!!!
प्रिय गाँव मेरे तू चल , तेरे शहर में क्या रखा है
यहाँ बोतलों में शहद , वहां बोलियों में भरा है……………………!!!

पीपल पत्थर पूजे ,मांगे अच्छे वर की मनोती ,
भोली लड़किया , देवलोक को दे देती है चुनोती ,
तू है मानती प्रेम वेदना Velentine day में ,
वो है मानती फाग रंग को अपनी प्रेम बपोती
उसके विश्वास का सोना , देख कितना खरा है !!!
प्रिय गाँव मेरे तू चल , तेरे शहर में क्या रखा है
यहाँ बोतलों में शहद , वहां बोलियों में भरा है ………………….!!!

सीधे पेड़ हो...

क्या सोचोगे और क्या पाओगे

तुम सच्चे हो, हर वक्त छले जाओगे

कोई नही समझेगा तुमको इस दुनिया में,

मजाक बनकर रह जाओगे

बचो अगर बच सकते हो इस दुनिया से,

सीधे पेड़ हो,

पहले काटे जाओगे

- नेट गुरु

आख़िर क्यो???

हम प्यार करने वालों को कब ये दुनिया समझेगी ?
क्या मेरे दिल में, क्या तेरे दिल में कौन जान पाया?
काश! दुनिया में सिर्फ़ प्यार ही होता...
ये चालाकियां, छलावा, झूठ न होता?
काश! दुनिया प्यार के मर्म को समझ पाती?
दुनिया में इतने चालाक लोग क्यो हैं?
क्यो लोग दिल से काम न लेकर दिमाग से काम लेते हैं?
क्यो बेक़सूर और सच्चा इन्सान इस दुनिया में ज्यादा दुखी रहता है?
क्यो चालाक इन्सान बाज़ी मार लेते हैं?
क्यो सच्चे और मासूम लोग हारते मालूम होते हैं?
आख़िर क्यो ईश्वर सच्चे लोगों का साथ नहीं दे रहा?
आख़िर क्यो लोग प्रेम से नही रह पाते?
क्यो लोग सच्चे इन्सान के आखों के पानी की नमी को महसूस नही कर पाते?
आख़िर क्यो???
- नेट गुरु