आख़िर क्यो???

हम प्यार करने वालों को कब ये दुनिया समझेगी ?
क्या मेरे दिल में, क्या तेरे दिल में कौन जान पाया?
काश! दुनिया में सिर्फ़ प्यार ही होता...
ये चालाकियां, छलावा, झूठ न होता?
काश! दुनिया प्यार के मर्म को समझ पाती?
दुनिया में इतने चालाक लोग क्यो हैं?
क्यो लोग दिल से काम न लेकर दिमाग से काम लेते हैं?
क्यो बेक़सूर और सच्चा इन्सान इस दुनिया में ज्यादा दुखी रहता है?
क्यो चालाक इन्सान बाज़ी मार लेते हैं?
क्यो सच्चे और मासूम लोग हारते मालूम होते हैं?
आख़िर क्यो ईश्वर सच्चे लोगों का साथ नहीं दे रहा?
आख़िर क्यो लोग प्रेम से नही रह पाते?
क्यो लोग सच्चे इन्सान के आखों के पानी की नमी को महसूस नही कर पाते?
आख़िर क्यो???
- नेट गुरु

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