धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का...


घर पर धोबी
अपने कुत्ते को
गधे के सामने
दुत्कारता है|

घाट पर
कपड़ों के साथ
फटकारता है|

सुनार के कुत्ते के
गले में
सोने की माला है,




कुम्हार ने
अपने कुत्ते के लिए
कुल्हड़ में
दूध डाला है|

लुहार के कुत्ते के पास
सिकी हुई बोटी है,

हलवाई के कुत्ते के पास
मलाईदार रोटी है|

जुलाहे के कुत्ते के पास
खेलने के लिए
ढेर है कपास का,
मोची के कुत्ते के पास
जूता है
आदिदास का|

इन सबके पास
जुगाड़ है
ऐशोआराम और ठाठ का|

एक
निरीह
धोबी का कुत्ता ही है,
घर का
घाट का|

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