घर पर धोबी
अपने कुत्ते को
गधे के सामने
दुत्कारता है|
घाट पर
कपड़ों के साथ
फटकारता है|
सुनार के कुत्ते के
गले में
सोने की माला है,
कुम्हार ने
अपने कुत्ते के लिए
कुल्हड़ में
दूध डाला है|
लुहार के कुत्ते के पास
सिकी हुई बोटी है,
हलवाई के कुत्ते के पास
मलाईदार रोटी है|
जुलाहे के कुत्ते के पास
खेलने के लिए
ढेर है कपास का,
मोची के कुत्ते के पास
जूता है
आदिदास का|
इन सबके पास
जुगाड़ है
ऐशोआराम और ठाठ का|
एक
निरीह
धोबी का कुत्ता ही है,
न घर का
न घाट का|
No comments:
Post a Comment