मैं और मेरी तन्हाई...


आवारा है गलियों में मैं और मेरी तन्हाई
जाये तो कहाँ जाएँ हर मोड़ पे है रुसवाई
मैं और मेरी तन्हाई

यह फूल से पहरे हैं हँसते हुए गुलदस्ते
कोई भी नहीं अपना बेगाने हैं सब रास्ते
मैं और मेरी तन्हाई

अरमान सुलगते हैं सीने में चिता जैसे
कातिल नजर आती है दुनिया की हाय!जैसे
रोती है मेरे दिल पर बजती हुई शहनाई
मैं और मेरी तन्हाई

हर रंग में यह दुनिया सौ रंग बदलती है
रो कर कभी हंसती है हंस कर कभी गाती है
यह प्यार की बाहें हैं या मौत की अंगड़ाई
मैं और मेरी तन्हाई

आकाश के माथे पर तारों का चारगवां है
पहलू में मेरे मगर मेरे जख्मों का गुल्स्तान है
आँखों से लहू टपकता है दामन में बहार आई
मैं और मेरी तन्हाई||

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