संयम का साथ न छोड़ो,संयम से नाता जोड़ो,
बांधे ऐसी कोई डोर,बाहर से भीतर बंध जाये|
लहरें तो आखिर लहरें,पानी भी आखिर पानी,
तूफानों ने कब जानी,पानी की सजल कहानी
सागर का लेकिन संयम,जीवन से कभी नहीं कम,
बांधे तो ऐसी कोई डोर,जीवन से सागर बांध जाये|
मोती-माणिक या कंचन या गीली-सुखी माटी,
सब बोझ बने रह जाते जीवन चदता जब घाटी
साँसों का लेकिन संयम,जीवन से कभी नही कम,
बांधे तो ऐसी कोई डोर,साँसों से गिरधर बंध जाये|
कर्मों का लेखा जोखा करने वाला ईशवर है,
दुनिया,यह सारी दुनिया उसका अपना घर है
शब्दों का लेकिन संयम,वाणी से कभी नहीं कम,
बांधे तो ऐसी कोई डोर,अक्षर से अक्षर बंध जाये|
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