जनवरी की पियरती धूप को
आँगन की तुलसी और
बाहर खड़े बरगद के वृक्ष को
पूरब के सूरज को
पश्चिम के चंदा को
बगल की तलैया को
रात को जुन्हैया को
नाले-नदी सागर को
पनघट के गागर को
कपिल और पूजा को
गाँव और देश को
साल और पलाश को
हरी सूखी घास को
वर्ष,दिन और मास को
छोटी-सी--चिड़िया को
बड़े -बड़े बाजों को
झूठे-सच्चे वादों को
कुछ नये इरादों को
अग्नि को,नीर को
तुलसी को,कबीर को
बिछिया को ,वेणी को
मालकिन को,मेहरी को
सांझ को,दोपहरी को
असाधू को,संत को
आदि को,अंत को
फूल को,बबूल को
सबको..!!हाँ सबको
नया साल शुभ हो!
नया साल शुभ हो!!
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