सुख क्या है...


सुख क्या है?बतला सकते हो?
पंडुक की सुकुमार पांख या लाल चौंच मैना की ?
चरवाहे की बंसी का स्वर ?
याकि गूँज उस निर्झर की जिसके दोनों तट
हरे,सुगन्धित देवदारुओं से सेवित हैं?
सुख कोई सुकुमार हाथ हैं?
जिसको हाथ में लेकर हम कंटकित और पुलकित होते हैं?

अथवा है वह आँख
बोलती जो रहस्य से भरी प्रेम की भाषा में?
या सुख है वह चीज़ स्पर्श से जिसके मन में
कंपन-सा-होता,आँखों से
मूक अश्रु ढल कर कपोल पर रूक जाते हैं?
सुख कहाँ पर वास करता है?
सुख?अरे ,यह ज्योतिरिंग तो नहीं है
जो द्रुमो की पत्तियों की छाँव में दिन भर छिपा रहता?
याकि सौरभ पुष्प के उर का?
की कोई चीज़ ऐसी जो
हवा में नाचती है रात को नुपूर पहन कर?
सुख!तुम्हारा नाम केवल मानता हूँ?
मैं ह्रदय का अंध हूँ;
मैंने कभी देखा नही तुमको|
इसकिये प्यारे ! तुम्हे अब तक नहीं
पहचानता हूँ|
पर,कहो ,तुम,सत्य ही,सुन्दर बहुत हो?
पुष्प से,जल से,सुरभि से
और मेरी वेदना से भी मधुर हो?

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