आई है रोकने वो
कदम ये बहके बहके
हो जाओ ना बदनाम
रोके उसे ये कहके
निकले जब बहके सांसे तेरी
कैसे ना हम महके
छेडें जब गजल जुल्फ़े तेरी
गौरव गुजरे है कहके
आई है रोकने वो
कदम ये बहके बहके
हो जाओ ना बदनाम
रोके उसे ये कहके
हंस दो तुम जरा
तो फ़ूल भी हो महके महके
उठे नकाब दीद से तेरी
चांद चलता है कहके
आई है रोकने वो
कदम ये बहके बहके
हो जाओ ना बदनाम
रोके उसे ये कहके
तस्ववुर हुआ जो तुम्हारा
जलन-ए-नजर निकले है सहके
मिलो न तुम जिस दिन
याद आये है रह रहके
आई है रोकने वो
कदम ये बहके बहके
हो जाओ ना बदनाम
रोके उसे ये कहके
अरे रुक जा रे बन्दे
अरे रुक जा रे बन्दे,
वो मर चुका है ,
वो जल चुका है |
अब आग लगाते हो कहाँ,
था आशीयाँ जिसका वो गुज़र चुका है |
बंद कर ये लहू बहाना,
नफरत की फसल उगाना,
काट ये आग उगलते नाखून,
जाने कितनी जिंदगी खुरच चुका है |
छाती तेरी कब ठंडक पायेगी,
मुर्दो की बस्ती तुझे कब तक भायेगी,
ये सफेदी का काला रंग कहां तक उडायेगा,
तेर घर भी रंग ये निगल चुका है |
अरे रुक जा रे बन्दे, रुक जा,
वापसी का दरवाजा हमेशा खुला है |
वो मर चुका है ,
वो जल चुका है |
अब आग लगाते हो कहाँ,
था आशीयाँ जिसका वो गुज़र चुका है |
बंद कर ये लहू बहाना,
नफरत की फसल उगाना,
काट ये आग उगलते नाखून,
जाने कितनी जिंदगी खुरच चुका है |
छाती तेरी कब ठंडक पायेगी,
मुर्दो की बस्ती तुझे कब तक भायेगी,
ये सफेदी का काला रंग कहां तक उडायेगा,
तेर घर भी रंग ये निगल चुका है |
अरे रुक जा रे बन्दे, रुक जा,
वापसी का दरवाजा हमेशा खुला है |
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