A Nice Collection of Hindi, Urdu and English Poetry...
बरसों की आरी हंस रही थी घटनाओं के दांत नुकीले थे अकस्मात एक पाया टूट गया आसमान की चौकी पर से शीशे का सूरज फिसल गया
आंखों में ककड़ छितरा गये और नजर जख्मी हो गयी कुछ दिखायी नहीं देता दुनिया शायद अब भी बसती है
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