बताया तब जाना मैंने

अब कैसे कहूं कि तुम मेरी नज़रों से गिर गए हो,
न तुम भाषा समझते हो,न भाव,और न व्यवहार;

अब कैसे कहूं कि तुम्हारी ज़िन्दगी मेरे से अलग है,
न तुम नज़रों से गिरना सीख सके और न बेरुखी;

अब कैसे कहूं कि मेरे सपने बदल गए हैं तुम्हारे से,
मेरी निगाहों में न जाने क्या देखते हो हरपल....;

अब कैसे कहूं कि मुझे कभी प्यार न था तुमसे,
दिल्लगी को दिल से लगा के बैठे हो नादान से;

अब कैसे कहूं कि तुम्हारे रोने को न सुन सका,
मैं शोर में रहा होउंगा दोस्तों के साथ कल रात;

अब कैसे कहूं कि आसमान अब बदल गया,
मुझे रंग कुछ और अच्छे लगने लगे हैं..;

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