दोस्ती को कभी अलविदा मत कहना...

झूठा अपनापन तो हर कोई जताता है
वो अपना ही क्या जो हर पल सताता है
यकीन न करना हर किसी पर क्यूंकि 
 करीब है कितना कोई ये वक्त बताता है|

खुशबू की तरह मेरे साथ रहना 
लहू बनकर मेरी नस में बहना 
दोस्ती है रिश्तों का अनमोल रत्न 
दोस्ती को कभी अलविदा मत कहना|

खुशबू की इक किताब कह बेठे 
उनको ताज़ा गुलाब कह बैठे 
उनको चुकर है झरना दीवाना
पानी को हम शराब कह बैठे |

No comments: