जिंदगी ऐ जिंदगी...
जीते रहने की सजा दे जिंदगी ऐ जिंदगीअब तो मरने की दुआ दे जिंदगी ऐ जिंदगी,
मैं तो अब उकता गया हूँ
क्या यही है कायनात...
बस ये आइना हटा दे जिंदगी ऐ जिंदगी|
दूंदने निकला था तुज को और खुद को खो दिया,
तू ही अब मेरा पता दे जिंदगी ऐ जिंदगी,
या मुझे एहसास की इस कैद से कर दे रिहा
वर्ना दीवाना बनादे जिंदगी ऐ जिंदगी|
ऐ जिंदगी
आँखों से अब न अश्क बहाना ऐ जिंदगी
हालात ज़रा अपने सुनाना ऐ जिंदगी
चंचल है तू हसीन है रंगीन है बहुत
जीवन के सारे रंग दिखाना ऐ जिंदगी
चर्चा है तेरे हुस्न की सारे शहर में अब
आँचल में अब न खुद को छुपाना ऐ जिंदगी
जिनके दिलों में जल रही है नफरतों की आग
आईना ज़रा उनको बताना ऐ जिंदगी
जो खेलते है खून की होली तू उन पे अब
इंसानियत का रंग चढाना ऐ जिंदगी
ऐ जिंदगी गले लगा ले...
ऐ जिंदगी गले लगा ले
हम ने भी तेरे हर एक ग़म को गले से लगाया हैं,
हैं ना
हम ने बहाने से छुपके ज़माने से
पलकों को परदे में घर भर लिया
तेरा सहारा मिल गया हैं जिंदगी
छोटा सा साया था आँखों में आया था
हम ने दो बूंदों से मन भर लिया
हम को किनारा मिल गया हैं जिंदगी|
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