
मंडप सजा था,फेरे होने को थे,
पंडितजी हवन की तैयारी कर रह थे|
कुछ लोग यहाँ खड़े थे,
कुछ लोग वहन विचर रहे थे|
वहन जो कोई आता
दूसरों के कान में कुछ कहकर
भाग जाता,सुनने वाला भी फिर
वहन नजर नहीं आता|
दुल्हन के माता-पिता,सगे सम्बन्धी सब
जब चले गये तो पंडित क्रुद्ध हुआ|
बोला-'सब लोग कहाँ चले गये?
फेरे होने को है,
मुहूर्त टला जा रहा है|'
इतने में एक आदमी ने पंडित के कान
में कुछ कहा और फिर वो भाग गया|
सुनते ही पंडित बढ़बढ़ाया ,बौखलाया,
फी जोर से चिलाया...
'मुझे पहले क्यूँ नही बताया की
नल कब आया?
इतने में दुल्हन ने गठ्जोड़े को मारा
झटका,उठाया मटका और
लगी नल की तरफ भागने|
दूल्हा दुखी होकर बोला,'हे प्राणेश्वरी|
विवाह की इस पवित्र बेला में,
तुम मुझे अकेला छोड़कर
कहाँ जा रही हो?
दुल्हन बोली-हे प्राणनाथ |
अपना विवाह तो घटे भर बाद भी
हो जायेगा पर
नल आज आया है,
अब पता नहीं कं आयगा||'
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