तनहा हैं हम

क्यूँ कुछ एहसास नहीं होता |
लोग हैं हर तरफ फिर भी तन्हां हैं हम |
प्यार से ही नहीं ज़िन्दगी से भी जुदा हैं हम |
सफ़र में तो हैं पर हमसफ़र नहीं हैं |
किसी के होकर भी क्यूँ खुद से जुदा है हम |
टूट-टूट के थक गए हैं फिर भी क्यूँ जिंदा हैं हम |
शायद किसी अपने से नहीं खुद से खफा हैं हम |

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