क्या फिर उदित होगा सूरज?
आज भी आकाश घना हो रहा है
कहीं सलीब पर
आज भी हमें प्यार करने वाला
छटपटा रहा होगा|
आज भी किसी रहिस के भोज में
कोई गरीब के मेमने को छीनकर
मार रहा होगा,आज भी कहीं
सपनो के खून से कोई
आँगन को लीप रहा होगा
आज भी आकाश घना हो रहा है
कहीं एक बेचारी बहन का मांस
कुत्ते चबा रहे होंगे
आज भी पडोसी द्वारा खुद की जमीन में|
तैयार किये गये अंगूर के बाग़ को
कोई तबाह कर रहा होगा
आज भी हज़ारों
नन्हें गालों पर खिलनेवाले
केसर के फूलों को कोई
हड़प रहा होगा
आज भी थोड़े मृत सपनो के लिए
किसी के सीने में चिता जल रही होगी
आज भी ख़ुशी से
उड़ रहे नन्हे कपोत को
बाण से गिराया गया होगा
आज भी अधनंगे
बूढ़े पिता को नमस्कार कर
कोई गोली चला रहा होगा
आज भी आकाश घना होने पर
मेरा मन अंधकार से भर जाताहै
क्या आज सूरज अस्त होने के बाद
फिर उदित नही होगा?
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मेरे एक मित्र जो गैर सरकारी संगठनो में कार्यरत हैं के कहने पर एक नया ब्लॉग सुरु किया है जिसमें सामाजिक समस्याओं जैसे वेश्यावृत्ति , मानव तस्करी, बाल मजदूरी जैसे मुद्दों को उठाया जायेगा | आप लोगों का सहयोग और सुझाव अपेक्षित है |
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