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गलती तो सबसे होती है,
इश्वर ने क्या भूल नहीं की?
हाथी की जो असल पूँछ थी,
वह उसके मुँह पर लटका दी
नाम रख दिया 'सूंड'
अपनी भूल छिपाने को फिर-
एक गधे की पूँछ तोड़कर
हाथी के पीछे चिपका दी|
और हमारे कान?दो इंच के-
किन्तु वह चूहे सा
तीन इंच की 'बॉडी' उसकी,
छह इंच के कान ?
वाह भगवान् !
यही है न्याय ?
हाय !!
और बताऊं एक तीसरी भूल ?
भयंकर भूल !
मुख मंडल पर-
दो आँखें पास-पास ही फिट कर दी है?
एक नेत्र आगे लग जाता
और एक पीछे लग जाता
तो क्या कुछ घाटा पड जाता ?
आगे को तुम देख रहे हो-
पीछे कोई चपत मारकर
भाग जाए तो क्या कर लोगे?
और देखिये एक गजब बात-
मूछ और दाढ़ी दोनों ही पुरुष वर्ग को दे डाली है|
अरे!मूंछ अगर मर्दों को दे दी,
तो दाढ़ी देवीजी को देते|
पर हमको क्या मतलब
इस से होने दो अन्याय !
दो बजकर पच्चीस हो गयी,
चलो पियेंगे चाय |
कपिल देव सग्गी
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