ये शब-ए-फ़िरक़ ये बेबसी हैं क़दम क़दम पे उदासियाँ

ये शब-ए-फ़िरक़ ये बेबसी हैं क़दम क़दम पे उदासियाँ
मेरा साथ कोई न दे सका मेरी हसरतें हैं धुआँ धुआँ

मैं तड़प तड़प के जिया तो क्या मेरे ख़्वाब मुझ से बिछड़ गये
मैं उदास घर की सदा सही मुझे दे न कोई तसल्लियाँ

चली ऐसी दर्द की आँधियाँ मेरे दिल की बस्ती उजड़ गई
ये जो राख-सी है बुझी बुझी हैं इसी में मेरी निशानियाँ

ये फ़िज़ा जो गर्द-ओ-ग़ुबार है मेरी बेकसी का मज़ार है
मैं वो फूल हूँ जो न खिल सका मेरी ज़िन्दगी में वफ़ा कहाँ

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