रोको,रोको ये डोली मेरी...


रोको, रोको !
ये डोली मेरी
कहाँ चली ?
छूटा गाँव छूटी गली|

रोक ले बाबुल,
दौड़ के आजा,
बहरे हुए कहार,
अंधे भी हैं ये,
इन्हें दीखें,
तेरे मेरे
आंसुओं की धार|
रोको,रोको|
ये डोली मेरी
कहाँ चली?
छूटा गाँव छूटी गली|

कपडे सिलाये
गहने गदाए,
दिए तुने
मखमल थान,
बेच के धरती ,
खोल के गैया,
बांधा तुने सब सामान,
दान दहेज
सहेज के सारा,
राह भी दी अनजान,
मील के पत्थर
कैसे बांचुं,
दिया अक्षर-ज्ञान|
गिरी है
मुझ पर बिजली|
छूटा गाँव छूटी गली |

रोको,रोको|
ये डोली मेरी
कहाँ चली?
छूटा गाँव छूटी गली|

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