अन्छूहे ज़ज्बात ...


मासूम सा दिल भोला सा
अन्छूहे ज़ज्बातों में खिला सा,

जाने वो छल -कपट
हर किसी के साथ सादगी से मिला सा

करता था वो प्यार किसी से, अनजान था दस्तूरों से,
हरदम किसी के ख्यालो में गुला सा,

मासूम दिल जानता था दर्द मुहबत के
खाया था कभी चोट भी ज़रा सा,

ठुकरा गया कोई उसे, दिया गम भी हज़ार
टूटा वो कुछ ऐसे के रह गया धरा सा,

कुछ समझ सका वो अब जियें कैसे, धडके किसके लिए
सोच भी पाया कुछ , रह गया बस आंसुओ से भरा सा ---

1 comment:

Amit Chandra said...

इब्तदाए इश्क है रोता है क्या आगे आगे देखिए होता है क्या।