मासूम सा दिल भोला सा
अन्छूहे ज़ज्बातों में खिला सा,
न जाने वो छल -कपट
हर किसी के साथ सादगी से मिला सा
करता था वो प्यार किसी से, अनजान था दस्तूरों से,
हरदम किसी के ख्यालो में गुला सा,
मासूम दिल जानता न था दर्द मुहबत के
खाया न था कभी चोट भी ज़रा सा,
ठुकरा गया कोई उसे, दिया गम भी हज़ार
टूटा वो कुछ ऐसे के रह गया धरा सा,
कुछ समझ न सका वो अब जियें कैसे, धडके किसके लिए
सोच भी न पाया कुछ , रह गया बस आंसुओ से भरा सा ---
अन्छूहे ज़ज्बातों में खिला सा,
न जाने वो छल -कपट
हर किसी के साथ सादगी से मिला सा
करता था वो प्यार किसी से, अनजान था दस्तूरों से,
हरदम किसी के ख्यालो में गुला सा,
मासूम दिल जानता न था दर्द मुहबत के
खाया न था कभी चोट भी ज़रा सा,
ठुकरा गया कोई उसे, दिया गम भी हज़ार
टूटा वो कुछ ऐसे के रह गया धरा सा,
कुछ समझ न सका वो अब जियें कैसे, धडके किसके लिए
सोच भी न पाया कुछ , रह गया बस आंसुओ से भरा सा ---
1 comment:
इब्तदाए इश्क है रोता है क्या आगे आगे देखिए होता है क्या।
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