बताया तब जाना मैंने

अब कैसे कहूं कि तुम मेरी नज़रों से गिर गए हो,
न तुम भाषा समझते हो,न भाव,और न व्यवहार;

अब कैसे कहूं कि तुम्हारी ज़िन्दगी मेरे से अलग है,
न तुम नज़रों से गिरना सीख सके और न बेरुखी;

अब कैसे कहूं कि मेरे सपने बदल गए हैं तुम्हारे से,
मेरी निगाहों में न जाने क्या देखते हो हरपल....;

अब कैसे कहूं कि मुझे कभी प्यार न था तुमसे,
दिल्लगी को दिल से लगा के बैठे हो नादान से;

अब कैसे कहूं कि तुम्हारे रोने को न सुन सका,
मैं शोर में रहा होउंगा दोस्तों के साथ कल रात;

अब कैसे कहूं कि आसमान अब बदल गया,
मुझे रंग कुछ और अच्छे लगने लगे हैं..;

बताया तब जाना मैंने


अनुभूति ‘प्रेम’ की

हर अनुभूति परिभाषा के पथ पर बढे-
यह आवश्यक नहीं,
शब्दों की भी होती है एक सीमा,
कभी-कभी साथ वे देते नहीं,
इसलिए बार -बार मिलने व कहने पर,
यही लगता है जो कहना था, कहां कहा?
‘प्रेम’ ऐसी ही इक ‘अनुभूति’ है,
वह मोहताज नहीं रिश्तों की।
अनाम प्रेम आगे ही आगे बढता है,
किन्तु रिश्ते हर पल मांगते हैं-
अपना मूल्य?
मूल्य न मिलने पर,
सिसकते,चटकते,टूटते,बिखरते हैं,
फिर भी रिश्तों की जकडन को,
लोग प्रेम कहते हैं।
कैसी है विडम्बना जीवन की?
सच्चे प्रेम का मूल्य,
नहीं समझ पाता कोई?
फिर भी वह करता है प्रेम जीवन भर,
सिर्फ इसलिए कि-
प्रेम उसका ईमान है,इन्सानियत है,
पूजा है॥

तेरी मौजूदगी

सुबह की धूप, उजली उजली सी, तेरे अंगों को छूकर आई है,
सुर्ख फूलों की नर्म साँसों में, सिर्फ़ खुशबू तेरी समाई है,
जब लचकतीं है ये लटें तेरी,
मैंने बदल को झुकते देखा है,
शोख मौसम के हर नज़ारे में,
तेरी मौजूदगी ही छाई है,

पर्बतों से फिसलते झरनों में, तेरी चूड़ी की छनछनाहट है,
उड़ते पत्तों की धीमी हलचल में, तेरे पावों की मीठी आहट है,
आ के चुपके से तू अभी मेरी, सूनी बाहों में झूल जायेगी,
"मुझको आने में थोडी तेर हुई" कह के हौले से मुस्कायेगी,

जब चूमुंगा तेरी पलकों को, तेरी आखों में एक नशा होगा,
तेरी साँसों में थरथरी होगी, वक्त बिल्कुल रुका-रुका होगा,
तेर तक खोये खोये से हम तुम, अजनबी रास्तों से गुजरेंगे,
रस्मे दुनिया को भूल कर दोनों, आशिकी के पलों से गुजरेंगे,

भूल जाऊँगा उस घड़ी में मैं भी, अपनी किस्मत में बस जुदाई है,
तू अभी मेरे पास है तो क्या, सच तो ये है की तू पराई है...

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मै तुझसे दूर कैसा हू तू मुझसे दूर कैसी है
ये मेरा दिल समझता है या तेरा दिल समझता है
मोहबत्त एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखों में आसूं है
जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है
मै जब भी तेज़ चलता हू नज़ारे छूट जाते है
कोई जब रूप गढ़ता हू तो सांचे टूट जाते है
मै हँसता हू तो अक्सर लोग मुझसे रूठ जाते है
समंदर पीर का अन्दर लेकिन रो नहीं सकता
ये आसूं प्यार का मोती इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता
भ्रमर कोई कुम्दनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोह्बत्त का
मै किस्से को हक्कीकत में बदल बैठा तो हंगामा
बहुत बिखरा बहुत टूटा थपेडे सह नहीं पाया
हवाओं के इशारों पर मगर मै बह नहीं पाया
अधूरा अनसुना ही रह गया ये प्यार का किस्सा
कभी तू सुन नहीं पाई कभी मै कह नहीं पाया

खूबसूरत हैं वो...

खूबसूरत हैं वो लब जिन पर दूसरो के लिए दुआ है,
खूबसूरत हैं वो मुस्कान जो दूसरो की खुशी देखकर खिल जाए,
खूबसूरत हैं वो दिल जो किसी के दुःख में शामिल हो जाए और किसी के प्यार में रंग जाए,
खूबसूरत है वो जज्बात जो दूसरो को भावनाओं को समझें,
खूबसूरत हैं वो अहसास जिस में प्यार की मिठास हो,
खूबसूरत हैं वो बातें जिनमें शामिल हो दोस्ती और प्यार के किस्से कहानियाँ,
खूबसूरत हैं वो आखें जिनमे कितने ही खूबसूरत ख्वाब समां जाएँ,
खूबसूरत है वो आंसू जो किसी के गम में बह जाएँ,
खूबसूरत हैं वो हाथ जो किसी के लिए मुश्किल वक्त में सहारा बन जाएँ,
खूबसूरत हैं वो कदम जो अमन और शान्ति का रास्ता तय कर जाएँ,
खूबसूरत है वो सोच जिसमे हो पूरी दुनिया की भलाई का ख्याल....

When i love you

When I love you so, then I look at your eyes
Love can be anything when you are in my arms
My love, I love you more than anything in this world
Let me get into your heart to give my love that I have

When I love you so, then I feel your body language
Love can be more than a love when you love me so
My love, I love you as much as you could do
Let me get into your heart to give my power that I have

When I love you so, then I hear your heart beats
Love can be true when you touch me with your soul
My love, I love you the way you love me
Let me get into your heart to give my life that I have

भारतीय गणतंत्र का ६० वें वर्ष में प्रवेश

भारतीय गणतंत्र का ६० वें वर्ष में प्रवेश
हम भारत के लोग,
भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व - सम्पन
समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए,
तथा उसके समस्त नागरिकों को:

सामजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार अभिवयक्ति, विश्वास, धर्मं
और उपासना की स्वतंत्रा, प्रतिष्ठा और अवसर की समता
प्राप्त कराने के लिए,
तथा उन सब में
व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता
सुनिशिष्ट करने वाली बंधुता बढाने के लिए

द्रढ़संकल्प होकर...
इस संविधान को
अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करतें हैं.


संविधान के आदर्शों के प्रति
आइये, हम सब आज फ़िर संकल्प लें.