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अन्छूहे ज़ज्बात ...


मासूम सा दिल भोला सा
अन्छूहे ज़ज्बातों में खिला सा,

जाने वो छल -कपट
हर किसी के साथ सादगी से मिला सा

करता था वो प्यार किसी से, अनजान था दस्तूरों से,
हरदम किसी के ख्यालो में गुला सा,

मासूम दिल जानता था दर्द मुहबत के
खाया था कभी चोट भी ज़रा सा,

ठुकरा गया कोई उसे, दिया गम भी हज़ार
टूटा वो कुछ ऐसे के रह गया धरा सा,

कुछ समझ सका वो अब जियें कैसे, धडके किसके लिए
सोच भी पाया कुछ , रह गया बस आंसुओ से भरा सा ---

कुछ अनकही बातें


कुछ अनकही बातें सब जानी पहचानी लगती है
तुझसे मेरी मुलाकात पूरानी सी लगती हैं

लगता है तू साथ था मेरे कई जन्मो से
उन किस्से कहानियो में अपनी कहानी सी लगती है
तुझसे मेरी मुलाकात----------------

देखू जो कहीं नज़र उठाके इस चमन को मैं
हर ज़र्रे में तेरी कहानी सी लगती है
तुझसे मेरी मुलाकात----------------

करें जो बात धडकनों की अपनी
तो तेरे मिलने के बाद ये भी बेगानी सी लगती है
तुझसे मेरी मुलाकात-----------------

आशा...


नयें वर्ष में आशा है,की फूटेगी कोई आशा की किरण |
बिछुड़े हुए दो दिलों को आशा है,कि होगा मिलन||
इस बीते हुए वर्ष में तो हो पाया कोई संगम|
आशा है इस नये वर्ष में मेरे दिल की पुकार सुनेगा मेरा सनम||
पिछले वर्ष हमारी छोटी सी मुलाकात पर,
तुमने किया था,इक छोटा सा,बड़ा हसीन वादा|
मगर उसके बाद शायद तुमने छोड़ ही दिया यहाँ आने का इरादा||

इस नये साल में शायद तुम मुझसे मिलने की हंसी गलती कर दो |
अब जाओ प्यारे सनम,मेरी कोरी सी
जिंदगी में पुन:रंग भर दो||