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भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो

भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो
या अदब को मुफ़लिसों की अंजुमन तक ले चलो

जो ग़ज़ल माशूक के जल्‍वों से वाक़िफ़ हो गयी

उसको अब बेवा के माथे की शिकन तक ले चलो

मुझको नज़्मो-ज़ब्‍त की तालीम देना बाद में

पहले अपनी रहबरी को आचरन तक ले चलो

गंगाजल अब बुर्जुआ तहज़ीब की पहचान है

तिश्नगी को वोदका के आचरन तक ले चलो

ख़ुद को ज़ख्मी कर रहे हैं ग़ैर के धोखे में लोग

इस शहर को रोशनी के बाँकपन तक ले चलो.

कुछ और बात होती...


दोस्तों! तुम प्रदर्शन करने आये,
सोचो क्या तुमने हासिल किया|
अगर तुम दर्शन करने आये होते,
तो शायद कुछ और बात होती||
भाव-भंगिमा से लगता है द्वेषपूर्ण रोष,
व्यापत था तुम्हारे शरीर में,
थोडा सा प्रेम लेकर आये होते,
तो शायद कुछ और बात होती||
समाज के प्रति फर्ज नही देता,
किसी को अभद्रता का अधिकार|
साधू-संतों से शालीनता बरतते,
तो शायद कुछ और बात होती||
विघटनकारी शक्तियों के इशारों पर,
कठपुतलियों की तरह नाचते हो|
अपने विवेक को प्रखर कर पाते ,
तो शायद कुछ और बात होती||
कसूर तुम्हारा भी नहीं है शायद,
तुम्हारा धंधा है सनसनी फैलाना|
तथ्यों को जानने की जहमत करते,
तो शायद कुछ और बात होती||
नारायण को साधारण नर जाना,
मुजरिम समझकर किया अपमाना |
लोक-कल्याण में सहयोग कर पाते ,
तो शायद कुछ और बात होती
ब्रह्मज्ञानी की अवमानना के बदले.
जाने प्रकृति कैसा कोप ढाये|
पड़ जाते सत्संग के चार छींटे,
तो शायद कुछ और बात होती||
कोमलचित संत तुम्हारी उदंडता को भी
अपने चित पर नहीं धरते|
तुम उनसे स्वयं श्रमा -प्रार्थना कर पाते ,
तो शायद कुछ और बात होती||
जानता हूँ तुम अपने वाक् -चातुर्य से,
हर बात काटने को ही आतुर|
बातें तुम्हारे हित की हैं यह बात जान पाते,
तो कुछ और बात होती ||

ज़िन्दगी हर कदम इक नई जंग है ...

भरी है ज़िन्दगी खुशियों से,
भरी है ज़िन्दगी ग़मों से,
भरोसा नहीं की आयेंगे सुख, पर यकीन है की आएगा एक दिन के बाद एक दुःख |
किसी को मालूम नहीं की आने वाले दुःख का क्या रंग है,
इसलिए तो कहते हैं ज़िन्दगी हर कदम एक नई जंग है |
इंसान दुखों को पाकर बहुत रोता है,
होना वही है जो किस्मत में लिखा होता है |
खुशियों से हमें और गमों को हम से प्रीत है,
गम को खुद पे हावी न होने दे फिर उसी की जीत है,
ग़मों की बरसात को देखकर इंसान होता दंग है |
इसलिए तो कहतें हैं ज़िन्दगी हर कदम इक नई जंग है|
गम को आना है दिल जानता है,
गम में भी ख़ुशी को ढूँढना इंसान की
सबसे बड़ी महानता है |
सुख दुःख पल में आयें पल में जाये
कपिल यह कहे सब से की गम में भी ख़ुशी के गीत गाये|
हर इक इंसान ग़मों से कितना तंग है,
इसलिए तो कहतें हैं,
ज़िन्दगी हर कदम इक नई जंग है|