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एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा...


एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

जैसे जन्नत की हूर,जैसे आँखों का नूर
जैसे नन्हा फरिश्ता,जैसे बेनाम रिश्ता
जैसे कोई गजल ,जैसे खिलता कँवल
जैसे ताज महल हो चांदनी में खड़ा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

जैसे कोयल की आवाज़,जैसे सरगम का साज
जैसे ममता का हाथ,जैसे बरसों का साथ
जैसे मुश्किल में दुआ,जैसे दर्द में दवा
जैसे सामने खड़ा हो मेरा खुदा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

जैसे आँखों का खुमार,जैसे चमन की बहार
जैसे अर्दु जुबान,जैसे तितली की जान
जैसे शहद सी बात,जैसे मिलन की रात
जैसे परदेस में मिल जाये कोई सगा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

जैसे कश्मीरी अनार,जैसे वादियों की बहार
जैसे बारिश का मौसम,जैसे ख़ुशी में आँखे नम
जैसे मखमली लिबास,जैसे मिलन की आस
जैसे बिछड़ कर मिलने का कोई समां
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

जैसे फूलों की महक,जैसे चिड़ियों की चहक
जैसे आँखों का जादू,जैसे दिल हो बेकाबू
जैसे होंठों का कमाल,जैसे दीवाने हुस्न बेमिसाल
जैसे मंदिर की मूर्त में हो मेरा खुदा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

जैसे शबनमी एहसास,जैसे बरसों की प्यास
जैसे आसमा में धनक,जैसे बिजली की चमक
जैसे फलदार शजर,जैसे प्यार भरी नज़र
जैसे कोई मोहब्बत का देवता
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

जैसे वीराने में सदा,जैसे वो सबसे जुदा
जैसे डूबते को सहारा,जैसे वो सबसे प्यारा
जैसे गेसुओं की छाँव,जैसे घुंघरुओं के पाँव
जैसे भुला कोई अपने घर का पता
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

जैसे संगमरमर का बदन,जैसे जवानी की अगन
जैसे भीगे-भीगे बाल,जैसे हुस्न पे पहरा
जैसे महबूब से हो किसी को वफा
एक लडकी को देखा तो ऐसा लगा

जैसे होंठों की लाली,जैसे फूलों की डाली
जैसे खिलती शाम,जैसे अल्लाह का नाम
जैसे कोई कसम,जैसे सच्चा सनम
जैसे अपने वतन से किसी को वफा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा...