झूठे वादे ...



आना न आना शोक से,मर्जी है आपकी |

आने का मुझसे झूठा तो वादा न कीजिये ||




साफ़ कह दीजिए,वादा ही किया था किसने |

बहाना क्या चाहिए,झूठों को मुकरने के लिए ||




तेरे वादे पे जिए हम,तो ये जान झूठ जाना |

कि खुशी से मर न जाते,अगर एतबार होता ||




गजब किया तेरे वादे पे एतबार किया |

तमाम रात कयामत का इंतज़ार किया ||




झूठे वादे हजार करते हैं |

हम यकीन बार-बार करते हैं ||




वादा करके और भी आफत में डाला आपने |

जिंदगी मुश्किल थी अब मरना भी मुश्किल हो गया ||




भूलने वाले को शायद याद वादा आ गया |

मुझको देखा,मुस्कुराया,फिर शर्मा गया ||




झूठे वादे भी नही करते आप |

कोई जीने का सहारा भी नहीं||

रात का पहरा बन जाता है पिता...

जो दुखों कि बारिश में,
छतरी बन कर तनते हैं,
घर के दरवाजे पर 
नज़रबट्टू बन टंगते हैं,
समेत लेते हैं सबका 
अँधियारा भीतर,
खुदआंगन में दीपक बन जलते हैं ,
ऐसे होते हैं पिता  ||
बेशक पिता लोरी नही सुनाते,
माँ कि तरह आंसू नही बहाते 
पर दिनभर कि थकान
के बावजूद रात का पहरा बन जाते हैं ||
जब निकलते हैं सुबह तिनकों कि खोज में
किसी के खिलोने ,किसी कि किताबें,
किसी कि मिठाई,किसी कि दवाई,
परवाज पर होते है घर भर के सपने |
पिता कब होते हैं खुद के अपने||
जब सांझ ढले लौटते हैं घर,
माँ कि चुदियाँ खनकती हैं,
नन्ही गुडिया चहकती है,
सबके सपने साकार होते हैं,
पिता उस वक्त अवतार होते हैं |
जवान बेटियां बदनाम होने से डरती है
हर गलती पर आँखों कि मार पडती है ,
दरअसल भय,हया,संस्कार का बोलबाला है पिता.
मोहले  भर कि जुबान का ताला है पिता ||

Hindi Urdu English Poetry: ओशो प्यारे...

Hindi Urdu English Poetry: ओशो प्यारे...: तुने डाली हे  करुना कि ऐसी  नज़र , कि मेरा गीत निखारना लगा है| भवन जीवन का बन गया था खंडर, तेरे इशारा सा फिर संवारना लगा है| सब द...

ओशो प्यारे...

तुने डाली हे  करुना कि ऐसी  नज़र ,
कि मेरा गीत निखारना लगा है|
भवन जीवन का बन गया था खंडर,
तेरे इशारा सा फिर संवारना लगा है|
सब दिशाओ  मे मच रहा था बवंडर,
तेरे हुक से सब कुछ ठहरने   लगा है|
मैं  घिर गया था घोर तमस मे ,
तेरी वाणी सा पथ झिलमिलाने  लगा है |
चल  दिया था मैं भी बनने  सिकंदर ,
भीतर  धयान का दिया जलने  लगा  है|
मेरा दिल बन गया उदासी का समंदर,
तुने गुदगुदाया तो  रोम-रोम महकने  लगा है |
दुखो ने बनाया मौत का तलबगार इस कदर,
बने जो नीलकंठ तुम ,दिल फिर जीने को मचलने लगा है |


Collection of Shiv Kheda



न घबरातें हैं तीरों से 

न तलवारों से डरते हैं,

हम अपनी धुन के पूरे हैं

जो कहते हैं वो करते हैं |




प्यार जिसके करीब होता होता है,

बाअ दब-बानसीब होता है |

ऐसे दौलत भी जिसके पास नहीं,

आदमी वो गरीब होता है |




पहले अपना दिल आईना कीजिये ,

फिर किसी से उमीदें-वफा कीजिये |




पड़ोसियों को मेरे,

अपना घर सजाना थ,

मेरे घर का लूटना 

तों एक बहाना था |




बस हाथ मिला लेने से 

नफरत नही मिटती,

नफरत को मिटाना है 

तों दिल,दिल से मिलाओ |




भलाई जितनी अधिक कि जाती है ,

उतनी ही अधिक फैलती है |




मनुष्य कि महानता 

उसके कपड़ों से नहीं 

उसके आचरण से मानी जाती है |