आज की शाम यूँ ही निकल जाएगी...


आज की शाम तो किसी तरह गुजर जाएगी
रात गहरी है मगर चाँद चमकता है अभी|

मेरे माथे पे तेरा प्यार धमकता है अभी
मेरी साँसों में तेरा लम्स महकता है अभी|

मेरे सीने में तेरा नाम धडकता है अभी
बात करने को मेरे पास बहुत कुछ है अभी||

तेरी आवाज़ का जादू है,अभी मेरे लिए
तेरे होंठों की खुशबू है अभी मेरे लिए
तेरी बातें तेरा पहलू अभी है मेरे लिए
सब से बड़के मेरी जान तू है,अभी मेरे लिए
बात करने को मेरे पास बहुत कुछ है अभी तेरे लिए||

आज की शाम तो किसी तरह गुजर जाएगी
आज के बाद मगर,रंग--वफा क्या होगा

देखना यह है की कल तुझसे मुलाकात के बाद
रंग उम्मीद खिलेगा या बिखर जायेगा
वकत परवाज करेगा या ठहर जायेगा
जीत हो जाएगी या खेल बिगड़ जायेगा
ख़्वाब का सहर रहेगा या उजड़ जायेगा||


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