ये बात ये तबस्सुम,ये नाज,ये निगाहें |
अदा वो क्या कि चुराय न दिल को दम भर में |
वो हुस्न क्या जो मअन दिलनशीं न हो जाये ||
आफत तों है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन |
मरता हूँ मैं जिस पर,वो अदा और ही कुछ है ||
मैं देर तक तुझे खुद ही न रोकता लेकिन |
तू जिस अदा से उठी है,उसी का रोना है ||
हमारी आँखों में आओ तों हम दिखाएँ तुम्हें |
अदा तुम्हारी जो तुम भी कहो कि हाँ कुछ है ||
है जवानी खुद जवानी का सिंगार |
सादगी गहना है इस उम्र के लिए ||
इस सादगी पे कौन न मर जाये ऐ खुदा |
लड़ते है और हाथ में तलवार भी नहीं ||
ये नाज़,ये गरूर लड़कपन में तों न था |
क्या तुम जवान हो के बड़े आदमी हुए ||
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