वो अपना ही क्या जो हर पल सताता है
यकीन न करना हर किसी पर क्यूंकि
करीब है कितना कोई ये वक्त बताता है|
खुशबू की तरह मेरे साथ रहना
लहू बनकर मेरी नस में बहना
दोस्ती है रिश्तों का अनमोल रत्न
दोस्ती को कभी अलविदा मत कहना|
खुशबू की इक किताब कह बेठे
उनको ताज़ा गुलाब कह बैठे
उनको चुकर है झरना दीवाना
पानी को हम शराब कह बैठे |
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